22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के ईरोड शहर में जन्मे श्रीनिवास अयंगर रामानुजन एक महान गणितज्ञ थे। गणित में अतुलनीय योगदान के लिए श्रीनिवास रामानुजन को के. रंगनाथ राव पुरस्कार से सम्मनित गया था। उनकी गणित में इतनी गहरी रूचि थी की वे अन्य विषयों में ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाते थे। यहाँ तक की दूसरे विषयों की कक्षाओं में भी वे गणित के ही प्रश्नों को ही हल किया करते थे।
श्रीनिवास रामानुजन का गणित में योगदान
रामानुजन ने गणितीय विश्लेषण, अनंत शृंखला, संख्या सिद्धांत तथा निरंतर भिन्न अंशों के लिए आश्चर्यजनक योगदान दिया और अनेक समीकरण व सूत्र भी पेश किए लेकिन गणित में रामानुजन का सबसे बड़ा योगदान रामानुजन संख्या यानी 1729 को माना जाता है।
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srinivasa ramanujan ka ganit mein yogdan |
यह ऐसी सबसे छोटी संख्या है, जिसको दो अलग-अलग तरीके से दो घनों के योग के रूप में लिखा जा सकता है। 1729, 10 और 9 के घनों का योग है- 10 का घन है 1000 और 9 का घन है 927 और इन दोनों को जोड़ने से हमें 1729 प्राप्त होता है।
रामानुजन का गणित में योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण है। रामानुजन के द्वारा किए गए गणितीय अनुसंधानों ने गणित की दुनिया में ऐतिहासिक परिवर्तन किए हैं। उनकी खोजें और प्रमाणित सिद्धांतों का प्रयोग आज भी गणित विज्ञान के क्षेत्र में हमें नए दिशानिर्देश प्रदान करता है।
रामानुजन ने इंडियन मैथमेटिक्स को एक नया मुख प्रदान किया और उसे विश्व स्तर पर मान्यता दिलाई। उनके योगदान ने हमें गणित की समझ को गहराई तक बढ़ाया है और आगे जाकर नई गणितीय सिद्धांतों के निर्माण में मदद की है।
भारतीय गणित की महान परंपरा के वाहक श्रीनिवास रामानुजन को संख्या सिद्धांत में उनके उल्लेखनीय कार्य के लिए "गणितज्ञों के गणितज्ञ" और "संख्याओं के जादूगर" के रूप में भी जाना जाता है। उन्होंने स्वयं गणित पढ़ाया और अपने पूरे जीवन में 3884 प्रमेयों का संग्रह संकलित किया, जिनमें से अधिकांश सही साबित हुए हैं।
रामानुजन ने गणितीय विश्लेषण, अनंत श्रृंखला, संख्या सिद्धांत और निरंतर भिन्नों में महत्वपूर्ण योगदान दिया और कई समीकरण और सूत्र प्रस्तुत किए। वह एक ऐसे प्रसिद्ध गणितज्ञ थे जिन्होंने गणित के विभिन्न क्षेत्रों में अमूल्य योगदान दिया
उन्होंने मुख्यतः संख्या सिद्धांत के क्षेत्र में कार्य किया। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने रामानुजन को बीए की उपाधि भी प्रदान दी। महान गणितज्ञ रामानुजन की गणना आधुनिक भारत के उन व्यक्तित्वों में की जाती है, जिन्होंने विश्व में नए ज्ञान को पाने और खोजने की पहल की।