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Gi Tag क्या है ? | कैसे मिलता है GI टैग ?

 gi tagभारत विभिन्नता में एकता के लिए जाने जाना वाला देश है यहां पर अलग-अलग तरह की वस्तुओं का निर्माण होता है अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरह की वस्तुएं बनती है | 

भारत में कई सारी ऐसे उत्पाद है जो भारत की संस्कृति को दर्शाते हैं! GI टैग के द्वारा इन वस्तुओं के पैदावार को संरक्षित किया जाता है। जीआई टैग कानूनी तौर पर वस्तुओं के उत्पादन को एक पहचान प्रदान करती है।

 इस लेख में आपको जीआई टैग क्या है? इसकी उपयोगिता और इससे जुड़ी अन्य जानकारियां विस्तार से प्राप्त होगी।

Gi Tag in Hindi
Gi Tag kya hai

कोटा डोरिया साड़ी को G.I Tag किस वर्ष मिला

कोटा डोरिया साड़ी को G.I Tag वर्ष 2005 में मिला था। कोटा डोरिया साड़ी अपनी बनावट, कम वजन, सुन्दर कड़ाई वर्क के लिए पूरे देश में प्रशिद्ध है। इस साड़ी को बनाने का काम राजस्थान के कोटा जिले छोटे से शहर केथून से शुरू हुआ था। 

केथून (kethun cty) कोटा से 20 km की दूरी और है। कोटा डोरिया साड़ियों को बनाने में 50% कॉटन और 60% स्लिक का उपयोग किया जाता है। इन लाजवाब कोटा डोरिया सदियों को बनाने में बहुत ही कुशलता की जरूरत होती है। 

केवल 1 साड़ी को बनाने में कम से कम 15 दिनों का समय लग जाता है। सभी कोटा डोरिया साड़ी में अपना लोगो लगा होता है जो उन्हें विश्वसनीयता प्रदान करता है।  

 

Gi Tag का  फुल फॉर्म (What is Gi Tag, Full Form)

Gi tag का फुल फॉर्म Geographical Indication Tag हैं! हिंदी में जीआई टैग को “भौगोलिक संकेत” कहते हैं। जीआई टैग किसी वस्तु को तब दिया जाता है जब वह वस्तु या उत्पाद किसी क्षेत्र की विशेषता को दर्शाते हैं! जैसे राजस्थान का दाल बाटी चूरमा! और कोलकाता की मिष्टि दोई आदि. जीआई टैग के द्वारा किसी उत्पाद को एक अलग पहचान दी जाती है। 

जीआई टैग एक तरह का लेबल/ टैग होता है जो किसी वस्तु विशेष को या किसी प्रोडक्ट को भौगोलिक पहचान या यूं कहें कि स्थाई पहचान देती हैं। World intellectual property organisation के अनुसार जीआई टैग किसी उत्पाद को उसके बनावट, पहचान और गुणवत्ता के आधार पर दिया जाता है।

जब कोई वस्तु किसी एक खास जगह पर बनती है तो उस वस्तु की पहचान उसी क्षेत्र से बन जाती है। ऐसा सिर्फ खाने के सामान के साथ ही नहीं होता बल्कि हर तरह के सामान के साथ होता है। 

जीआई टैग उन वस्तुओं को खास तौर पर दी जाती है जो एक से ज्यादा क्षेत्रों में उत्पन्न होते हैं। वैसे तो चावल का पैदावार भारत के कई सारे क्षेत्रों में होता है लेकिन जीआई टैग विशेष तौर पर पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों को दिया गया है। 

ठीक उसी तरह चाय के उत्पादन के लिए दार्जिलिंग को भी जीआई टैग दिया गया है। इस तरह अलग-अलग क्षेत्रों को अलग-अलग वस्तुओं के उत्पादन के लिए जीआई टैग दिया जाता है।

 

भारत में जीआई टैग (Gi Tag in India)

अगर भारत में ऐसे वस्तुओं के नाम की गिनती की जाए जिसमें जी आई टैग प्राप्त हुआ है तो यह सूची काफी बड़ी होगी। क्योंकि भारत में अलग-अलग तरह के वस्तुओं का उत्पादन अलग-अलग क्षेत्रों में बखूबी से किया जाता है। भारत में कई ऐसे वस्तु है जिसे जीआई टैग प्रदान किया गया है और उनके नाम हैं – मार्लेश्वर का स्ट्रॉबेरी, बनारस की बनारसी साड़ी, नागपुर का संतरा, तिरुपति के लड्डू आदि।


जीआई क्यों शुरू हुआ (Why Gi Tag Started)

जब भारत का agreement “WTO” से हुआ तब भारत में यह खतरा था कि अलग-अलग देश भारत के वस्तुओं की नकल करके उसे वापस भारतीय बाजार में ज्यादा मूल्य पर बेचेंगे, जिससे न सिर्फ भारत की आर्थिक स्थिति में परेशानी आएगी बल्कि भारत की संस्कृति पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। जब यह एग्रीमेंट हुआ था तब बनारस की साड़ी, लखनऊ के चिकन करी, कांजीवरम साड़ी जैसी चीजों को नकल करने का डर काफी ज्यादा बढ़ गया था। इसीलिए अपने देश की धरोहर को अपने देश में बचाए रखने के लिए जीआई टैग को लागू किया गया।


जीआई टैग की शुरुआत कब हुई (Gi Tag Starting)

जीआई टैग की शुरुआत साल 2003 में भारत की धरोहर को भारत में ही बचाए रखने के लिए हुई थी। जीआई टैग को वस्तु का उत्पादन और प्रोडक्शन करने के लिए दिया जाता है। जी आई टैग कुछ-कुछ ट्रेडमार्क के जैसा होता है।


जीआई टैग अधिनियम (Gi Tag Act)

जीआई टैग को कानूनी रूप से कार्यान्वित करने के लिए Gi Tag act को लागू किया गया है। Gi Tag act के अनुसार कुछ बातें स्पष्ट की गई है –

हमारे देश की औद्योगिक संपत्ति को बचाने के लिए पेरिस कन्वेंशन के अंतर्गत बौद्धिक संपदा अधिकारों के अंतर्गत जीआई टैग एक्ट को लागू किया गया है।

WTO के द्वारा जीआई टैग अधिनियम को चलाया जाता है।

जीआई टैग के विनियमन व वस्तुओं के रजिस्ट्रेशन और संरक्षण के लिए 1999 में यह एक्ट लागू हुआ। लेकिन वस्तुओं को उनकी गुणवत्ता के आधार पर जीआई टैग साल 2003 से दिया जाने लगा।

जीआई टैग प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को चेन्नई के आई डेटाबेस में आवेदन करना होता है।

जीआई टैग 10 वर्षों तक मान्य रहती हैं। अगर किसी वस्तु को जीआई टैग मिल जाता है, तो टैग का लाभ 10 वर्षों तक मिलता रहता है लेकिन 10 वर्ष पूरे हो जाने के बाद जीआई टैग को वापस रिन्यू करना पड़ता है।


GI Tag किसे मिलता है | कैसे मिलता है GI टैग ?

किसी भी वस्तु को जीआई टैग देने से पहले उस वस्तु के उत्पादन गुणवत्ता और विशेषताओं को बहुत ही बारीकी से परखा जाता है। जीआई टैग देने से पहले यह सुनिश्चित किया जाता है कि उस वस्तु का उत्पादन उसी क्षेत्र में हो रहा है या यूं कहें कि जी आई टैग देने से पहले वस्तु के ओरिजनलिटी को परखा जाता है। 

साथ ही साथ यह भी देखा जाता है कि उस वस्तु का उत्पादन किस एक विशिष्ट क्षेत्र में हो रहा है या उस राज्य के हर क्षेत्र में हो रहा है! कई बार वस्तु के उत्पादन या उसके बनने में मौसम का भी बहुत बड़ा हाथ होता है! जीआई टैग देने से पहले यह देखा जाता है कि उस वस्तु के उत्पादन में वहां के मौसम का प्रभाव पड़ रहा है।


इस तरह की छोटी-छोटी बारीकियों को जांचने के बाद वस्तु को उसके भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार जीआई टैग प्रदान किया जाता है।


GI Tag कौन देता हैं?

भारत में जी आई टैग खास फसलों को और भारत के विशिष्ट क्षेत्रों में तैयार किए जाने वाले प्रोडक्ट्स को दिया जाता है। कई बार यह जी आई टैग 2 राज्यों को एक साथ दिया जाता है क्योंकि उन दोनों राज्यों में 1 तरह के वस्तुओं का उत्पादन होता है, जैसे चावल की पैदावार में पंजाब और हरियाणा दोनों को ही जीआई टैग दिया गया है। 

किसी भी वस्तु को जीआई टैग वाणिज्य मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्‍ट्री प्रमोशन एंड इंटरनल ट्रेड के द्वारा दिया जाता है। जीआई टैग न सिर्फ वस्तु को बल्कि उस वस्तु से संबंधित राज्य, संस्थाओं को दिया जाता है। साल 2003 में पहली बार जी आई टैग दार्जिलिंग के चाय को दिया गया था। तब से आज तक यह जी आई टैग बहुत सारे वस्तुओं को दिया जा चुका है।


अब तक मिल चुके जीआई टैग

भारत में अब तक 272 वस्तुओं को जी आई टैग मिल चुका है। WIPO की तरफ से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जीआई टैग दिया जाता है। अब तक सबसे ज्यादा जीआई टैग जर्मनी को मिला है। जर्मनी में 9,499 वस्‍तुओं को जी आई टैग दिया गया है। उसके बाद जो दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा GI Tag हासिल करने वाला देश है उसका नाम है चीन! चीन के पास 7,566 वस्तुओं पर जी आई टैग है।


जीआई टैग के फायदे (Gi Tag Benefit)

जीआई टैग के बहुत सारे फायदे हैं और उन फायदों की जानकारी नीचे दी गई है –


जीआई टैग के द्वारा वस्तुओं को संरक्षण प्राप्त होता है और वह वस्तु एक निश्चित क्षेत्र को संबोधित करते हैं।

जीआई टैग के द्वारा वस्तु के नकल पर रोकथाम लगाया जाता है।

यह एक भौगोलिक क्षेत्र के महत्व को बढ़ा देता है!

जीआई टैग के द्वारा वस्तु एक भौगोलिक क्षेत्र के नाम से जाना जाता है जिससे उसकी एक नई पहचान बन जाती है।

जीआई टैग के द्वारा भारत की संस्कृति व कला को सुरक्षित रखा जाता है।

जीआई टैग भारतीय स्थानीय वस्तुओं को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने में भी मदद करती हैं।

जीआई टैग के द्वारा वस्तु की बिक्री बहुत ज्यादा बढ़ जाती है क्योंकि दूसरे देश के लोग भी वस्तु के महत्व को समझते हुए उसे ज्यादा खरीदते हैं।


जीअई टैग से नुकसान (Gi Tag Side Effects)

जहां जी आई टैग के बहुत सारे फायदे हैं वहीं जीआई टैग के कुछ नुकसान भी हैं-

जीआई टैग राज्यों के मध्य मतभेद पैदा करता है।

जीआई टैग के द्वारा किसान को काफी ज्यादा नुकसान होता है क्योंकि जी आई टैग मिलने के बाद भी किसानों को उनके द्वारा पैदा किए जाने वाले वस्तु के लिए कोई लाभ नहीं मिलता है।

जीआई टैग मिल जाने से एक वस्तु एक विशिष्ट क्षेत्र के नाम से सीमित हो जाती हैं।

कैसे मिलता है GI टैग ? (How to Get Gi Tag)

अगर आपको लगता है कि आप कोई खास वस्तु बनाते हैं या फिर उसका प्रोडक्शन करते हैं तो आपको जीआई टैग मिल जाएगा, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है क्योंकि जीआई टैग ऐसे ही किसी को प्राप्त नहीं होता। अगर आप GI Tag के लिए अप्लाई करेंगे, तो भी आपको यह नहीं मिलेगी क्योंकि जीआई टैग association, body corporate को प्रदान किया जाता है ना की किसी व्यक्ति को। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि यह टैग सरकारी स्तर पर प्रदान किया जाता है।


जीआई टैग अधिकारिक वेबसाइट (Gi Tag Official Website)

जीआई टैग के बारे में जानने के लिए या फिर इस tag को प्राप्त करने के लिए अगर आप आवेदन करना चाहते हैं, तो आपको इसके ऑफिशल वेबसाइट पर जाना होगा। आप इस अधिकारिक लिंक की मदद से आवेदन कर सकते हैं!


जीआई टैग प्रमाण पत्र (Gi Tag Certificate)

जिन वाणिज्य वस्तुओं या प्रोडक्शन वाली वस्तुओं को जीआई टैग प्रदान किया जाता है उन्हें एक जी आई टैग सर्टिफिकेट भी दिया जाता है यह सर्टिफिकेट इस बात को प्रमाणित करता है वह वस्तु अपने क्षेत्र का सबसे खास वस्तु है और उसका उत्पादन भी उसी क्षेत्र में होता है। जीआई टैग सर्टिफिकेट में वस्तु एक गुणवत्ता से लेकर उसके सर्टिफिकेट नंबर तक हर छोटी-बड़ी जानकारी दी गई होती है।


FAQ

Q : पहला जीआई टैग किस वस्तु को दिया गया था ?

Ans : दार्जिलिंग की चाय को!


Q : शाही लीची से पहले किसे ji tag दिया गया है |

Ana;- शाही लीची से पहले, जीराफूल , कला जीरा, कंधमाल हल्दी ,कोटा डोरिया साड़ी को G.I Tag आदि को मिल चुका है। 


Q : पहला जीआई टैग कब दिया गया था ?

Ans : साल 2003 में


Q : सबसे ज्यादा GI tag किस देश के पास है ?

Ans : जर्मनी के पास है!


Q : जीआई टैग के लिए कहां अप्लाई किया जाता है ?

Ans : वाणिज्य मंत्रालय के Department for Promotion of Industry and Internal Trade के पास अप्लाई किया जाता है।


Q : जीआई टैग कितने वर्षों तक मान्य होती है ?

Ans : 10 वर्षो तक


Q ;   कोटा डोरिया साड़ी को G.I Tag किस वर्ष मिला 

Ans:- कोटा डोरिया साड़ी को G.I Tag वर्ष 2005 में मिला था।


मुझे उम्मीद है यह Gi Tag क्या है ? जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी। 

अपने हमें इतना समय दिया आपका बहुत धन्यवाद।