osi model kya hota hai

कंप्यूटर नेटवर्किंग आज के डिजिटल युग की रीढ़ है। हर ईमेल भेजना, वेबसाइट देखना, या वीडियो कॉल करना, सब नेटवर्क के माध्यम से डेटा के हस्तांतरण पर निर्भर करता है। लेकिन यह डेटा ट्रांसफर कैसे काम करता है? विभिन्न डिवाइस, ऑपरेटिंग सिस्टम और प्रोटोकॉल कैसे आपस में संवाद करते हैं? यहीं पर OSI (Open Systems Interconnection) मॉडल तस्वीर में आता है। 

OSI मॉडल एक अवधारणात्मक ढांचा है जो नेटवर्क कम्युनिकेशन की जटिलताओं को परत दर परत समझने में मदद करता है। यह एक ऐसा टूल है जो नेटवर्क इंजीनियरों, डेवलपर्स और आईटी प्रोफेशनल्स को नेटवर्क आर्किटेक्चर को डिजाइन, समस्या निवारण और विकसित करने में मार्गदर्शन करता है।

OSI मॉडल क्या है?

OSI मॉडल, अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) द्वारा विकसित एक सैद्धांतिक मॉडल है जो नेटवर्क कम्युनिकेशन को सात अलग-अलग परतों में विभाजित करता है। प्रत्येक परत एक विशिष्ट कार्य करती है और अपने ऊपर की परत को सेवाएं प्रदान करती है, जबकि अपने नीचे की परत से सेवाएं प्राप्त करती है। इस परतदार दृष्टिकोण से नेटवर्क कम्युनिकेशन को समझना और प्रबंधित करना आसान हो जाता है।

osi model kya hota hai
osi model kya hota hai 

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि OSI मॉडल एक वास्तविक प्रोटोकॉल नहीं है; यह केवल एक संदर्भ मॉडल है। वास्तविक दुनिया के प्रोटोकॉल जैसे TCP/IP, OSI मॉडल के सिद्धांतों का पालन करते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि वे बिल्कुल उसी तरह सात परतों में संगठित हों।


OSI मॉडल में कितने लेयर होते हैं

OSI मॉडल की सात परतें:

OSI मॉडल में सात परतें हैं, जो इस प्रकार हैं (नीचे से ऊपर):

  1. भौतिक परत (Physical Layer): यह परत नेटवर्क की भौतिक विशेषताओं से संबंधित है, जैसे कि केबल, कनेक्टर और सिग्नल ट्रांसमिशन की तकनीक। यह परत डेटा को बिट्स (0s और 1s) में परिवर्तित करती है और उन्हें भौतिक माध्यम (जैसे कि ईथरनेट केबल, वाई-फाई रेडियो वेव्स) पर ट्रांसमिट करती है। भौतिक परत वोल्टेज स्तर, डेटा दर और कनेक्टर्स के प्रकार जैसी बातों को परिभाषित करती है।

    • उदाहरण: ईथरनेट केबल, वाई-फाई, ब्लूटूथ।
    • मुख्य कार्य: बिट्स का ट्रांसमिशन, केबलिंग स्पेसिफिकेशन, वोल्टेज स्तर, डेटा दर।
  2. डेटा लिंक परत (Data Link Layer): यह परत भौतिक परत द्वारा ट्रांसमिट किए गए बिट्स को "फ्रेम" नामक लॉजिकल ग्रुप में व्यवस्थित करती है और यह सुनिश्चित करती है कि डेटा एक नेटवर्क सेगमेंट (जैसे कि LAN) पर बिना त्रुटि के ट्रांसमिट हो। इसमें त्रुटि का पता लगाना और उसे ठीक करना भी शामिल है। डेटा लिंक परत में दो उप-परतें होती हैं:

    • मैक (MAC) परत (Media Access Control Layer): यह परत डेटा ट्रांसमिशन के लिए माध्यम तक पहुँच को नियंत्रित करती है। यह सुनिश्चित करती है कि एक ही समय में दो डिवाइस डेटा ट्रांसमिट करने का प्रयास न करें, जिससे टकराव हो सकता है।
    • एलएलसी (LLC) परत (Logical Link Control Layer): यह परत उच्च परतों को एक इंटरफेस प्रदान करती है और त्रुटि नियंत्रण और फ्लो नियंत्रण जैसी सेवाएं प्रदान करती है।
    • उदाहरण: ईथरनेट, वाई-फाई (MAC एड्रेस), प्वाइंट-टू-प्वाइंट प्रोटोकॉल (PPP)।
    • मुख्य कार्य: डेटा को फ्रेम में व्यवस्थित करना, त्रुटि का पता लगाना और सुधारना, माध्यम तक पहुँच नियंत्रण।
  3. नेटवर्क परत (Network Layer): यह परत नेटवर्क के बीच डेटा पैकेट को रूट करने के लिए जिम्मेदार है। यह सुनिश्चित करती है कि डेटा स्रोत डिवाइस से गंतव्य डिवाइस तक सबसे कुशल पथ का उपयोग करके पहुंचे, भले ही वे डिवाइस अलग-अलग नेटवर्क पर हों। नेटवर्क परत लॉजिकल एड्रेसिंग (जैसे कि IP एड्रेस) और रूटिंग प्रोटोकॉल (जैसे कि RIP, OSPF, BGP) का उपयोग करती है।

    • उदाहरण: IP (इंटरनेट प्रोटोकॉल), ICMP (इंटरनेट कंट्रोल मैसेज प्रोटोकॉल)।
    • मुख्य कार्य: लॉजिकल एड्रेसिंग (IP एड्रेस), रूटिंग, पैकेट फ़ॉरवर्डिंग।
  4. ट्रांसपोर्ट परत (Transport Layer): यह परत एंड-टू-एंड कम्युनिकेशन के लिए जिम्मेदार है, जिसका अर्थ है कि यह सुनिश्चित करती है कि डेटा स्रोत डिवाइस से गंतव्य डिवाइस तक पूरी तरह से और सही क्रम में पहुंचे। यह परत डेटा को छोटे सेगमेंट में विभाजित करती है, ट्रांसमिशन के दौरान त्रुटियों का पता लगाती है और उन्हें ठीक करती है, और यह सुनिश्चित करती है कि डेटा गंतव्य डिवाइस पर सही क्रम में पुनः जोड़ा जाए। ट्रांसपोर्ट परत में दो मुख्य प्रोटोकॉल हैं:

    • TCP (Transmission Control Protocol): यह एक कनेक्शन-ओरिएंटेड प्रोटोकॉल है जो विश्वसनीय डेटा ट्रांसमिशन प्रदान करता है। यह डेटा को सही क्रम में पहुंचाने और खोए हुए या दूषित डेटा को पुनः प्रसारित करने की गारंटी देता है।
    • UDP (User Datagram Protocol): यह एक कनेक्शनलेस प्रोटोकॉल है जो कम ओवरहेड के साथ तेज डेटा ट्रांसमिशन प्रदान करता है, लेकिन यह डेटा की विश्वसनीयता की गारंटी नहीं देता है।
    • उदाहरण: TCP, UDP।
    • मुख्य कार्य: एंड-टू-एंड कम्युनिकेशन, डेटा सेगमेंटेशन, त्रुटि नियंत्रण, फ्लो नियंत्रण।
  5. सत्र परत (Session Layer): यह परत दो डिवाइसों के बीच एक सत्र स्थापित करने, प्रबंधित करने और समाप्त करने के लिए जिम्मेदार है। एक सत्र एक अस्थायी कनेक्शन है जो दो डिवाइसों को डेटा का आदान-प्रदान करने की अनुमति देता है। सत्र परत प्रमाणीकरण, प्राधिकरण और सत्र रिकवरी जैसी सेवाएं प्रदान करती है।

    • उदाहरण: नेटBIOS, RPC (रिमोट प्रोसीजर कॉल)।
    • मुख्य कार्य: सत्र स्थापित करना, प्रबंधित करना और समाप्त करना, प्रमाणीकरण, प्राधिकरण।
  6. प्रस्तुति परत (Presentation Layer): यह परत डेटा के प्रारूपण और एन्क्रिप्शन के लिए जिम्मेदार है। यह सुनिश्चित करती है कि एक डिवाइस द्वारा भेजा गया डेटा दूसरे डिवाइस द्वारा समझा जा सके, भले ही उनके विभिन्न डेटा प्रारूप हों। प्रस्तुति परत डेटा को एन्क्रिप्ट और डिक्रिप्ट भी कर सकती है ताकि इसे ट्रांसमिशन के दौरान सुरक्षित रखा जा सके।

    • उदाहरण: एसएसएल/टीएलएस, जेपीईजी, एमपीईजी।
    • मुख्य कार्य: डेटा प्रारूपण, एन्क्रिप्शन, डिक्रिप्शन।
  7. एप्लिकेशन परत (Application Layer): यह परत नेटवर्क उपयोगकर्ताओं के लिए सीधे इंटरफेस प्रदान करती है। यह नेटवर्क एप्लिकेशन (जैसे कि वेब ब्राउज़र, ईमेल क्लाइंट) को नेटवर्क सेवाएं (जैसे कि वेब सर्फिंग, ईमेल भेजना) एक्सेस करने की अनुमति देती है। एप्लीकेशन परत कई अलग-अलग प्रोटोकॉल का उपयोग करती है, जैसे कि HTTP (वेब सर्फिंग के लिए), SMTP (ईमेल भेजने के लिए) और FTP (फ़ाइल ट्रांसफर के लिए)।

    • उदाहरण: HTTP, SMTP, FTP, DNS।
    • मुख्य कार्य: नेटवर्क एप्लीकेशन के लिए इंटरफेस, वेब सर्फिंग, ईमेल भेजना, फ़ाइल ट्रांसफर।

OSI मॉडल का महत्व

OSI मॉडल कई कारणों से महत्वपूर्ण है:

  • नेटवर्क कम्युनिकेशन को समझने में मदद करता है: OSI मॉडल जटिल नेटवर्क कम्युनिकेशन को सात अलग-अलग परतों में विभाजित करके इसे समझना आसान बनाता है।
  • समस्या निवारण को आसान बनाता है: नेटवर्क समस्याओं को हल करते समय, OSI मॉडल समस्या को विशिष्ट परत पर केंद्रित करने में मदद करता है, जिससे समस्या निवारण की प्रक्रिया आसान हो जाती है।
  • मानकीकरण को बढ़ावा देता है: OSI मॉडल नेटवर्क प्रोटोकॉल के विकास और कार्यान्वयन के लिए एक सामान्य ढांचा प्रदान करता है, जो विभिन्न डिवाइसों और सिस्टमों के बीच इंटरऑपरेबिलिटी को बढ़ावा देता है।
  • नई तकनीकों के विकास को प्रोत्साहित करता है: OSI मॉडल नए नेटवर्क तकनीकों के विकास के लिए एक संदर्भ बिंदु प्रदान करता है, जो नवाचार और विकास को प्रोत्साहित करता है।

निष्कर्ष:

OSI मॉडल नेटवर्क कम्युनिकेशन को समझने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है। यह एक अवधारणात्मक ढांचा है जो नेटवर्क कम्युनिकेशन को सात अलग-अलग परतों में विभाजित करता है, जिससे नेटवर्क आर्किटेक्चर को डिजाइन, समस्या निवारण और विकसित करना आसान हो जाता है। चाहे आप नेटवर्क इंजीनियर हों, डेवलपर हों या आईटी प्रोफेशनल, OSI मॉडल को समझना नेटवर्क की दुनिया में सफल होने के लिए आवश्यक है। यह न केवल नेटवर्किंग अवधारणाओं की गहरी समझ प्रदान करता है बल्कि जटिल समस्याओं को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण भी प्रदान करता है। इसलिए, OSI मॉडल की अवधारणाओं को सीखना और समझना आपके नेटवर्किंग ज्ञान और कौशल को बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।