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छींक क्यों आती है ? | छींक के अशुभ प्रभाव को कैसे दूर किया जा सकता है ?

छींक क्यों आती है ?, छींक के अशुभ प्रभाव को कैसे दूर किया जा सकता है ? मुँह और नाक से तेज़ आवाज़ के साथ बेहद तीव्रता से हवा के  बहार निकलने को  छींक है । छींक हमारे शरीर से 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से बहार निकलती है। यह हमारे शरीर की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। छींक के माध्यम से हमारा शरीर हमारे श्वास नाली की सफाई करता है। 

 छींक क्यों आती है ?

कभी-कभी कोई पदार्थ जब नाक के अंदर चला जाता है तो नर्व्स असहजता महसूस करती है, तब इस पदार्थ को बाहर निकालने के लिए छींक आती है. कई बार एलर्जी के कारण छींक आती है. कई बार फ्यूम्स और धूल अंदर जाने पर छींक आती है, कभी-कभी तेज प्रकाश से आंख के रेटिना से मस्तिष्क को जाने वाली ऑप्टिक नर्व्स या नाड़ी भी उत्तेजित हो जाती है, जिससे छींक आती है।  

हिचकी क्यों आती है? 

छींक आते समय शरीर में कंपन होता है।  आंखें बंद हो जाती हैं. छींक के बाद हम अक्सर ताजगी महसूस करते हैं. सिर में हल्कापन लगने लगता है. लेकिन कई बार जब वायरस या फ्लू से पीड़ित होते हैं तो भी छींक आती है।  हालांकि तब छींक के साथ शरीर कई और संकेत देता है, जिससे पता लग जाता है कि ये छींक साधारण नहीं है बल्कि गंभीर है। 

chheenk ke shubh va ashubh sanket
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# जानते है छींक के  क्या प्रभाव होते हैं ? 

1. यदि घर से निकलते समय कोई सामने से छींकता है तो कार्य में बाधा आती है, लेकिन एक से अधिक बार छींकता है तो काम आसानी से पूरा हो जाता है।

2. व्यापार आरंभ करने से पहले छींक आना व्यापार में सफलता का सूचक है।

 3. कोई मरीज यदि दवा ले रहा हो और छींक आ जाए तो वह शीघ्र ही ठीक हो जाता है।

4. धार्मिक अनुष्ठान या यज्ञादि प्रारंभ करते समय कोई छींकता है तो अनुष्ठान पूरा होने में समस्याएं आती हैं। 

5. शकुन शास्त्र के अनुसार भोजन करने से पहले छींक की ध्वनि सुनना अशुभ माना जाता है।

 6. यदि कोई व्यक्ति दिन के प्रथम प्रहर  में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है तो उसे अनेक कष्ट झेलने पड़ते हैं। दूसरे प्रहर में सुनता है तो शारीरिक कष्ट, तीसरे प्रहर  में सुनता है तो दूसरे के द्वारा स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति और चौथे प्रहर  में सुनता है तो किसी मित्र से मिलना होता है।

 7.कोई मित्र या रिश्तेदार के जाते समय कोई उसके बांई ओर छींकता है तो यह अशुभ संकेत है। अगर जरूरी न हो तो ऐसी यात्रा टाल देनी चाहिए।

 8. कोई वस्तु खरीदते समय यदि छींक आ जाए तो खरीदी गई वस्तु से लाभ होता है।

 9. सोने से पहले और जागने के तुरंत बाद छींक की ध्वनि सुनना अशुभ माना जाता है।

 10. नए मकान में प्रवेश करते समय यदि छींक सुनाई दे तो प्रवेश स्थगित कर देना ही उचित होता है या फिर किसी योग्य ब्राह्मण से इसके बारे में विचार कर ही घर में प्रवेश करना चाहिए।

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# छींक के अशुभ प्रभाव को कैसे दूर किया जा सकता है ?

छींक सभी लोगों को आती है। अगर आपको एक या दो छींक आती है तो सामान्य बात मानी जाती है, लेकिन अगर छींक बार-बार आने लगे, या लगातार छींक आने लगे तो यह परेशानी बन जाती है। बार-बार छींक आने से व्यक्ति परेशान एवं चिड़चिड़ा हो जाता है। 

छींक के कारण कई लोगों को सिर में दर्द भी होने लगता है। अगर आप भी लगातार छींक आने से परेशान हैं तो छींक को रोकने का घरेलू उपचार कर सकते हैं। तो जानते  की छींक के अशुभ प्रभाव को कैसे दूर किया जा सकता है।  

ऐसे तो छींक के शुभ अशुभ प्रभाव को मानना या ना मानना पूरी तरह आप पर निर्भर करता है। यदि छींक ऐसे समय आ जाए जब आप कोइ शुभ काम कर रहे हो या कहीं यात्रा पर निकल रहे हों और कोइ छींक दे तो आप उस के अशुभ प्रभाव को उसी समय "ॐ राम रामेति शांति शांति " का  जप कर लें अथवा निकट किसी मंदिर में पूजा कर प्रसाद चढ़ाकर लोगों में बाँट दें ऐसा करने से छींक का अशुभ प्रभाव नस्ट हो जाता है।  

मुझे उम्मीद है आपको ये सभी shubh ashubh sanket शकुन एवं अपशकुन के बारे में जानने की लालसा इस लेख से पूरी हुई होगी हमने आपके लिए सपनों का मतलबशरीर के अंगों में तिल का अर्थ  और शरीर के किस अंग के फड़कने का क्या फल,मतलब होता है पर भी आर्टिकल लिखा है उन्हें पढ़कर भी आप अपना ज्ञान बढ़ा सकते है।  

आपने हमे इतना समय दिया आपका बहुत धन्यवाद।