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अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति का मुख्यालय - olympic samiti ka mukhyalay

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (International Olympic Committee, IOC) एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो आधिकारिक तौर पर ओलंपिक खेलों को संचालित करता है। यह 23 जून 1894 को बिल विल्सन, पियेर डे कुबर्टें और दोस्ती और खेल के मूख्य प्रोत्साहक चार्ल्स डेब्रुस से मिलकर पेरिस में स्थापित की गई थी।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक का मुख्यालय स्विट्जरलैंड के लौसेन में स्थित है। अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति में लगभग 100 सदस्य होते हैं, जिन्हें ओलंपिक आगंतुक भी कहा जाता है।

यह समिति ओलंपिक झंडा, प्रतियोगिता के नियमों और प्रतियोगिता में भाग लेने वालों के लिए नीतियों की जिम्मेदारी उठाती है।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के मुख्य पदाधिकारी ओलंपिक प्रेजीडेंट होते हैं, जो महत्वपूर्ण निर्णयों की गठन और ओलंपिक आयोजन सम्बन्धी नीतियों का कार्यान्वयन करते हैं।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति का मुख्यालय
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति का मुख्यालय

यह समिति ओलंपिक को मानवीय मूल्यों, यात्राओं, सांस्कृतिक आदर्शों और आयोजन क्षमता के मापदंड के रूप में बनाए रखने के लिए कार्य करती है।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति का उद्देश्य ओलंपिक आन्दोलन को विश्वस्तरीय स्तर पर बढ़ावा देना है और खिलाड़ियों को खेलने की अवतारण कायाकल्प में मदद करना है।

समिति निपुणता, सदभाव, संघटनात्मकता, ताकतवरता और नैतिक मूल्यों के प्रतीक के रूप में अपनी मान्यताओं और सर्वोच्चता को प्रदर्शित करती है।

इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति नियम से संघ संगठन और खिलाड़ियों की अदायगी के साथ-साथ न्यायिक समीक्षा और अपील प्रक्रियाओं का समर्थन भी करती है। यह समिति ओलंपिक आयोजन को अदालत के सामरिक और शांतिप्रिय माध्यम के रूप में भी बढ़ावा देती है।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति व्यापार, स्वास्थ्य, शिक्षा, साहसिक खेल और महिलाओं के पायलट परियोजनाओं जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग करके ओलंपिक आंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के लिए विकसित और पर्याप्त माध्यम प्रदान करने की कोशिश करती है।

इसका मूल उद्देश्य खेल के माध्यम से विश्व भर में एकता, शांति, सदभाव और मानवता का प्रचार प्रसार करना है।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस (International Olympic Day) हर साल 23 जून को मनाया जाता है। यह दिन अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति की स्थापना के दिन पर मनाया जाता है।

इस दिन को पहली बार 1948 में ओलंपिक आगंतुकों के प्रेरणा स्रोत के रूप में मनाया गया था।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोग खेलों, उनके महत्व और ओलंपिक मूल्यों की महत्वपूर्णता को समझें।

यह दिन खेल के महत्व, एकता, मैत्री और आपसी समझ को प्रोत्साहित करने का एक अवसर भी प्रदान करता है।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस को लोग अलग-अलग तरीकों से मनाते हैं, जैसे कि खेल कार्यक्रम, खेल मुकबले, खेल कार्यशाला, दौड़-पदयात्रा, सेमिनार, मराथन, उत्सव, अभियान आदि।

इस दिन, लोगों को ओलंपिक मूल्यों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए निदेशकता दी जाती है, और विभिन्न खेल कार्यक्रमों में भाग लेने की प्रेरणा दी जाती है।

इसके अलावा, यह दिन पहले दिव्यांगता खेल आयोजित किए जाते हैं, जिसमें विकलांग खिलाड़ियों को मौका मिलता है अपनी क्षमताओं को दिखाने का।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक दिवस से लोगों को खेल के महत्व की प्रेरणा मिलती है और वे स्वस्थ रहते हैं जो उन्हें एक योग्य और सक्रीय जीवनशैली की ओर प्रेरित करती है।

इस दिवस को राष्ट्रीय स्तर पर छात्र-छात्राओं के बीच खेल कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है जो खेल और शारीरिक गतिविधियों की स्थायित्व में मदद करता है।

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति में शामिल होने वाली पहली भारतीय महिला कौन है

15 जून 1935 को जन्मीं नीलिमा घोष 17 साल की भी नहीं थीं, जब उन्हें 1952 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों के लिए भारतीय दल में शामिल किया गया था। इस तरह नीलिमा घोष अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति में शामिल होने वाली पहली भारतीय बनीं