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ट्रेन का आविष्कार किसने किया जाने पूरी जानकारी

ट्रेन का आविष्कार किसने किया (train ka avishkar kisne kiya):- रेलगाड़ी से यातायात का आविष्कार बहुत पुराना है और इसका सटीक श्रेय किसी विशिष्ट व्यक्ति या आदमी को देना मुश्किल है, क्योंकि यह एक ऐतिहासिक प्रक्रिया थी जिसमें कई लोगों ने योगदान दिया। आज हम आपको ट्रेन का आविष्कार किसने किया के हमारे इस पोस्ट में रेलगाड़ी के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे की किसने सबसे पहले डीजल इंजन, इलेक्ट्रिक ट्रेन और हाई स्पीड ट्रेन का आविष्कार किया।

ट्रेन का आविष्कार किसने किया - Train ka avishkar kisne kiya

ट्रेन का आविष्कार किसने किया, पहली रेलगाड़ी की यात्रा 21 फरवरी 1804 में रिचार्ड ट्रेविथिक द्वारा बनाई गई थी, जो एक इंजन पर चलने वाली रेलगाड़ी थी। रिचार्ड ट्रेविथिक, एक ब्रिटिश खनन इंजीनियर और आविष्कारक थे जिन्होंने सफलतापूर्वक उच्च दबाव वाली भाप का उपयोग किया और दुनिया के पहले भाप रेलवे लोकोमोटिव का निर्माण किया। इस रेलगाड़ी का उद्घाटन पेनयंट्स, वेल्श नगर से हुआ था और यह रेलगाड़ी अपेनाइन पहाड़ियों के माध्यम से ले जाने के लिए बनाई गई थी।

 

ट्रेन का आविष्कार किसने किया
ट्रेन का आविष्कार किसने किया

जोर्ज स्टीवन्सन को 'रेलगाड़ी के पिता' के रूप में भी जाना जाता है, जिन्होंने 1814 में स्टीम इंजन का विकास किया और इसे रेलगाड़ी में प्रयोग किया। दुनिया का पहला Rail Engine बनने के बाद से ही ट्रेनों में कई तरह के बदलाव लाए गए, जो आज हम इन ट्रेनों को देखते हैं जिन्होंने दुनिया के लोगों की यात्रा को बहुत आसान बना दिया है।

इसके पहले भी, रेलगाड़ी जैसी उपकरणों का प्राचीन समय से प्रयोग किया जाता था, जो यातायात के लिए उपयुक्त थे, लेकिन उनमें स्टीम इंजन का प्रयोग नहीं किया गया था। इसलिए, रेलगाड़ी के आविष्कार को लेकर कई वैज्ञानिकों और अविष्कारकों का योगदान था।

इलेक्ट्रिक ट्रेन का आविष्कार किसने किया

अब हम आपको आगे बताने वाले है की इलेक्ट्रिक रेल गाड़ी / बिजली से चलने वाली ट्रेन का अविष्कार किसने और कब किया-

भाप से चले वाली रेलगाड़ी के आविष्कार के बाद इन रेलगाड़ियों का उपयोग सदियों तक पूरे यूरोप में यातायात और कारोबार के लिए इस्तेमाल किया गया। लेकिन, साल 1837 में दुनिया का पहला इलेक्ट्रिक रेलगाड़ी / इंजन का अविष्कार किया गया।

इलेक्ट्रिक ट्रेन का आविष्कार स्कॉटलैंड निवासी रोबोट डेविडसन नाम के एक व्यक्ति ने किया था। रोबोट डेविडसन ने इस इंजन को Voltaic Cell यानी बैटरी के द्वारा चलाया जो कि दुनिया का पहला बैटरी से चलने वाला इलेक्ट्रिक रेल गाड़ी इंजन था।

डिजल इंजन ट्रेन का अविष्कार

इलेक्ट्रिक इंजन के बाद से डीजल इंजन बनाने का काम शुरू किया गया। इस इंजन को William Dent Priestman के द्वारा पहले बनाया गया। इसके बाद सर विलीयम थॉमस ने इसे सन 1888 में पुनः चेक किया गया और उसके बाद इसे डीजल इंजन का नाम दिया गया।

आपको बता दें की दुनिया की पहली डीजल से चलने वाली ट्रेन बन तो गई लेकिन इसे सफलता नहीं मिली इसका मुख्य कारण इसका बहुत ज्यादा ही भरी होना तह। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें की दुनिया की पहली डीजल ट्रेन वर्ष 1912 में स्विट्जरलैंड देश के विंटरथुर-रोमनशोर्न रेलवे लाइन पर चलाई गई थी जिसकी अधिकतम गति 100 किलोमीटर/घण्टे की थी।

कनाडा देश में वर्ष 1929 में दूसरी बार फिर से इस डीजल इंजन में कुछ सुधर किए गए नतीजा यह था की इस बार यह डीजल रेल इंजन कनाडा के राष्ट्रीय रेलवे पर सफलतापूर्वक चलाई गई। इसके बाद इस डिजल इंजन ट्रेन का उपयोगी काफी व्यापक तौर पर किया जाने लगा। दुनिया में आज भी कई ऐसे देश है जिनमें यह डीजल इंजन ट्रेन उपयोग किए जा रहे हैं।

हाई स्पीड ट्रेन का अविष्कार

हाई स्पीड ट्रेन का मतलब वह ट्रेन है जो दूसरों ट्रेन से काफी तेजी से दौड़ती है जो कि 300 से ज्यादा की प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ती है. इन ट्रेनों के लिए अलग से रूट होती है

आवश्यक्ता ही आविष्कार की जननी है, जब इलेक्ट्रिक ट्रेन और डीजल ट्रेन उपलब्ध थीं जिनसे लोगों का काम बहुत ही आसान हो गया था खासकर यात्रा और कारोबार में काफी अच्छी गति प्राप्त हो रही थी। लेकिन ट्रेन के इन इंजनों में और भी सुधार कार्य निरंतर जारी रखा गया जिससे की और भी उन्नत ट्रेनों का आविष्कार किया जा सके।

और इस कार्य में सफलता हासिल करने वाला पहला देश बना जापान। जापान ने सन 1964 दुनिया की पहली हाई स्पीड ट्रेन का संचालन किया। जिससे यातायत क्षेत्र को एक अलग ही मोड़ प्राप्त हुआ अब ज्यादा दूरी कम समय में पूरी की जा सकती है।

हम आपको बता दें की अभी भी रेल इंजन को और बेहतर बनाने का कार्य चल रहा है अब इन इंजनों को और बेहतर करने में कुछ अलग और नई टेक्नोलोजी का उपयोग किया जा रहा है। जिससे रेल यात्रा को और भी बेहतर दिशा मिले। और यह सब संभव हो पाया है दुनिया के पहले रेल इंजन के कारण। तो हमने पुरानी चूजों पर हमेशा गर्व होना चाहिए क्योंकि उन्ही के कारण आज यह नई चीज हम उपयोग कर पा रहे है।

हमें बीते समय के बारे में भी उतनी ही जानकारी रखनी चाहिए जितनी हमें आज की जानकारी है। वो कहने है न शुरुवात बेहद जरूरी है। तो ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी लगातार पाते रहने के लिए आप हमरी वेबसाइट usefulgyan.com को सब्सक्राइब जरूर करें।

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