भारत में हरित क्रांति कब शुरू हुई थी, हरित क्रांति से जुडी सभी जानकारी

harit kranti, harit kranti kab hua tha:- दोस्तों हम आज आपको हरित क्रांति और भारत में हरित क्रांति कब शुरू हुई थी उसके बारे में जानकारी देंगे तथा भारत में हरित क्रांति की शुरुआत किसने की और क्यों की है क्रांति की शुरुआत से क्या-क्या लाभ हुए उनके बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे अगर आपको हरित क्रांति के बारे में संपूर्ण जानकारी चाहिए तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़िए।

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 भारत में हरित क्रांति कब शुरू हुई थी

लाल बहादुर शास्त्री जो हमारे देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं के नेतृत्व में भारत में हरित क्रांति हुई तथा यह शुरुआत 1967 - 68 से 1977 - 78 में हुई, भारत में हरित क्रांति के जानक एग्रीकल्चर साइंटिस्ट और जेनेटिस्ट एम. एस. स्वामीनाथन को कहा जाता है। हरित क्रांति की शुरुआत के फल स्वरुप भारत के विभिन्न राज्यों जैसे विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि हुई। हरित क्रांति शब्द किसने दिया तो इसका जवाब है विलियम गार्ड ने दुनिया को हरित क्रांति शब्द दिया। 

हरित क्रांति क्या है  (harit kranti kya hai)

भारत की नई कृषि नीति सन् 1967-68 में लागू की गई, इस नीति के तहत खेतों में अधिक उपज देने वाले बीजों को बोया गया तथा कृषि के लिए नई नई तकनीकों का प्रयोग किया गया, जिसका उद्देश था फसल उत्पादन में तीव्र वृद्धि ऐसा करने से फसल के उत्पादन में तीव्र वृद्धि हुई थी, इसे ही हरित क्रांति कहा जाता है।

भारत में हरित क्रांति कब शुरू हुई थी
भारत में हरित क्रांति कब शुरू हुई थी

हरित क्रांति की विशेषताएँ

इसकी विशेषताएँ निम्न हैं-

1. कृषकों को नवीन, परिष्कृत एवं उन्नत किस्म के बीज तथा विकसित बीज उपलब्ध कराकर उन्हें इनका अधिकाधिक प्रयोग करने के लिए प्रयास किया।

2. किसानों को रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने के लिए दिया गया, जिससे फसल उत्पादन में तीव्रता से वृद्धि हुई।

3. सिंचाई के लिए सुविधाएँ भी सुलभ कराई गई।

4. फसलों तथा खेती से संबंधित अन्य जानकारियाँ कृषकों को देने का प्रयास किया गया।

5. उन्हें आधुनिक ढंग से खाद बनाने और प्रयोग करने के लिए कहा गया

हरित क्रांति के प्रवर्तक नॉर्मल बोरलॉग माने जाते हैं परंतु भारत में हरित क्रांति की बात करें तो भारत में हरित क्रांति की शुरुआत एमएस स्वामीनाथन श्रेय श्री सुब्रमण्यम के साथ किया था


हरित क्रांति को अपनाने के क्या क्या कारण थे

शुरुआत के समय में भारतीय कृषि के लिए स्थितियां बहुत विषम थी| तथा इस स्थितियों में सुधार लाने के लिए हरित क्रांति को अपनाना बहुत ही आवश्यक था इस प्रकार हरित क्रांति को अपनाएं जाने के कोई एक कारण नहीं बल्कि अनेक कारण थे जो इस प्रकार हैं।

1. औपनिवेशिक कारण:- भारतीय कृषि के विकास के लिए ब्रिटिश सरकार के द्वारा उस समय पर कोई भी महत्वपूर्ण प्रयास नहीं किया जा रहा था इससे कृषि की स्थिति बहुत ही दुखदाई थी जिसे सुधारने के लिए क्रांतिकारी प्रयास की बहुत आवश्यकता थी।

2. संरचनात्मक सुविधाओं का अभाव:- शुरुआत के समय में भारत में कृषि के लिए सिंचाई, सड़क, बिजली जैसी आवश्यक सुविधाएं नहीं हुआ करती थी, जिसके लिए प्रयास करना अति आवश्यक था।

3. परंपरागत कृषि पद्धति:- स्वतंत्रता के समय भारतीय लोक सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर रहते थे उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का प्रयोग नहीं किया जाता था तथा कृषक लकड़ी के हल, इससे कृषि उत्पादन एवं उत्पादकता दोनों बहुत कम मात्रा में हुआ करती थी तथा जिसमें सुधार करने की आवश्यकता थी।

4. मशीनीकरण का अभाव:- स्वतंत्रता प्राप्ति के समय यह कहा जाए कि शुरुआती कृषि के समय हार्वेस्टर, ट्रैक्टर, जैसी आवश्यक मशीनों का उपयोग नहीं के बराबर यह कहा जाए कि नहीं होता था। इससे कृषि पिछड़ी हुई अवस्था में बनी हुई थी, जिसे सुधारने की आवश्यकता थी।

5. संस्थागत सुविधाओं की अनुपलब्धता:-  शुरुआती समय में भारत देश में  हरित क्रांति को अपनाए जाने से पूर्व बैंकिंग, बीमा तथा अन्य वित्तीय सुविधाओं तथा भूमि सुधार, चकबंदी आदि जैसी सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी। यह सभी सुविधाओं के कारण भारतीय कृषि पर इसका प्रभाव देखा जाता था तथा  जिस में सुधार की आवश्यकता थी।


भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कहां से हुई

भारत में हरित क्रांति की शुरुआत 1960 के दशक में हुई, जिसका मुख्य उद्देश्य देश में कृषि उत्पादन को बढ़ाना था। इसकी नींव उत्तरी भारत में, विशेषकर पंजाब राज्य में रखी गई, जहाँ उन्नत किस्म के बीजों, सिंचाई और उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहित किया गया। इस क्षेत्र में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों और किसानों की उद्यमशीलता ने हरित क्रांति को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे देश खाद्य सुरक्षा की दिशा में अग्रसर हुआ।


भारत में हरित क्रांति का श्रेय किस वैज्ञानिक को जाता है

भारत में हरित क्रांति का श्रेय कृषि वैज्ञानिक डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन को जाता है। उन्होंने 1960 के दशक में उच्च उपज देने वाली गेहूं और चावल की किस्मों को विकसित करने और उन्हें भारत में पेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी दूरदृष्टि और अथक प्रयासों से देश खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बना और लाखों किसानों की आय में वृद्धि हुई। उनके योगदान को भारत में कृषि के क्षेत्र में एक युगांतरकारी परिवर्तन के रूप में देखा जाता है।


जब भारत में हरित क्रांति की शुरुआत हुई तब केंद्रीय कृषि मंत्री कौन थे

भारत में हरित क्रांति की शुरुआत के समय, केंद्रीय कृषि मंत्री श्री सी. सुब्रमण्यम थे। उन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम के कार्यान्वयन में एक निर्णायक भूमिका निभाई। उनके दूरदर्शी नेतृत्व और नीतियों ने उन्नत कृषि तकनीकों, उच्च उपज वाले बीजों और उर्वरकों के उपयोग को बढ़ावा दिया, जिसके परिणामस्वरूप भारत में कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। श्री सुब्रमण्यम का योगदान भारतीय कृषि के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है।

भारत में हरित क्रांति पर टिप्पणी कीजिए

भारत में हरित क्रांति, कृषि उत्पादन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तनकारी युग था, जो 1960 के दशक में शुरू हुआ। इस क्रांति ने उच्च उपज देने वाली किस्मों (HYV) के बीजों, रासायनिक उर्वरकों और सिंचाई तकनीकों के उपयोग को बढ़ावा दिया, जिससे देश के अनाज उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। 

विशेष रूप से गेहूं और चावल के उत्पादन में आत्मनिर्भरता प्राप्त हुई और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई। हालांकि, हरित क्रांति के कुछ नकारात्मक पहलू भी रहे, जैसे कि जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन, मिट्टी की उर्वरता में कमी, और छोटे किसानों पर आर्थिक दबाव। 

इन चुनौतियों के बावजूद, हरित क्रांति भारतीय कृषि के इतिहास में एक मील का पत्थर है, जिसने देश को भुखमरी से बचाने और आर्थिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


भारत में हरित क्रांति के प्रभाव

भारत में हरित क्रांति, 1960 के दशक में शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल थी, जिसने देश के कृषि परिदृश्य को गहराई से प्रभावित किया। इस क्रांति ने उच्च उपज देने वाली किस्मों (HYV) के बीजों, उर्वरकों और सिंचाई तकनीकों के व्यापक उपयोग को बढ़ावा दिया, जिसके परिणामस्वरूप खाद्यान्न उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। 

इससे भारत खाद्यान्न आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में सफल रहा और गरीबी उन्मूलन में भी सहायता मिली। हालांकि, हरित क्रांति के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी रहे, जैसे कि रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से मिट्टी की उर्वरता में कमी और जल प्रदूषण में वृद्धि। 

इसके अतिरिक्त, इस क्रांति का लाभ मुख्य रूप से कुछ क्षेत्रों और फसलों तक ही सीमित रहा, जिससे क्षेत्रीय असमानताएँ बढ़ीं। समग्र रूप से, हरित क्रांति भारत के कृषि इतिहास में एक निर्णायक मोड़ साबित हुई, जिसके दूरगामी और जटिल परिणाम हुए।


भारत में हरित क्रांति का उद्देश्य था

भारत में हरित क्रांति का उद्देश्य यह था-हरित क्रांति, भारत में कृषि उत्पादन में तीव्र वृद्धि लाने के उद्देश्य से शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल थी। इसके उद्देश्यों को निम्नलिखित बिंदुओं में संक्षेपित किया जा सकता है:

खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता:- हरित क्रांति का प्राथमिक उद्देश्य भारत को खाद्यान्न उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाना था। स्वतंत्रता के बाद, भारत अक्सर खाद्यान्न आयात पर निर्भर रहता था। इस क्रांति का लक्ष्य उच्च उपज वाली किस्मों (HYV) के बीजों, उर्वरकों और सिंचाई के माध्यम से उत्पादन बढ़ाकर इस निर्भरता को समाप्त करना था।

कृषि उत्पादकता में वृद्धि:- क्रांति का उद्देश्य प्रति हेक्टेयर कृषि उत्पादकता को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाना था। पारंपरिक कृषि पद्धतियों की तुलना में, HYV बीजों और बेहतर तकनीकों के उपयोग से प्रति इकाई भूमि पर अधिक उपज प्राप्त करना संभव हुआ।

किसानों की आय में वृद्धि:- हरित क्रांति का एक महत्वपूर्ण लक्ष्य किसानों की आय में वृद्धि करना था। बढ़े हुए उत्पादन और बेहतर कीमतों के माध्यम से, किसानों को अधिक लाभ प्राप्त करने और अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने में मदद मिली।

रोजगार सृजन:- कृषि क्षेत्र में बढ़े हुए निवेश और उत्पादन से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हुए। उर्वरक उत्पादन, सिंचाई परियोजनाओं और कृषि प्रसंस्करण इकाइयों के विकास से भी रोजगार सृजन में योगदान मिला।

औद्योगिक विकास को प्रोत्साहन:- कृषि उत्पादन में वृद्धि ने खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों और कृषि आधारित उद्योगों के विकास को बढ़ावा दिया, जिससे औद्योगिक विकास को गति मिली।

हालांकि हरित क्रांति ने भारत को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन इसकी कुछ आलोचनाएँ भी हैं, जिनमें पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव और क्षेत्रीय असमानता शामिल हैं। फिर भी, हरित क्रांति के उद्देश्यों और उपलब्धियों को भारतीय कृषि के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है।


हरित क्रांति FAQ,s

हरित क्रांति से जुड़े कुछ सवाल और उनके जवाब

प्रश्न:- हरित क्रांति के जनक
उत्तर:- नॉर्मन बोरलॉग (Norman Borlaug) को हरित क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न:- हरित क्रांति किसे कहते हैं
उत्तर:-  इस नीति के तहत खेतों में अधिक उपज देने वाले बीजों को बोया गया तथा कृषि के लिए नई नई तकनीकों का प्रयोग किया गया, जिसका उद्देश था फसल उत्पादन में तीव्र वृद्धि ऐसा करने से फसल के उत्पादन में तीव्र वृद्धि हुई थी, इसे ही हरित क्रांति कहा जाता है।

प्रश्न:- हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं
उत्तर:-  हरित क्रांति में फसलों को पारंपरिक तरीकों से बोने के बजाय कृषि के लिए नई नई तकनीकों का प्रयोग किया गया। जिससे ज्यादा से ज्यादा फसलों का उत्पादन किया जा सके। काम क्षेत्र और काम साधनों से अधिक फसल का उत्पादन ही इस हरित क्रांति का धेय था।

प्रश्न:- हरित क्रांति किससे संबंधित है
उत्तर:-  हरित क्रांति फसलों से संबंधित है।

प्रश्न:- हरित क्रांति की शुरुआत कब हुई
उत्तर:-  दुनिया में 1960 के दशक में हरित क्रांति की शुरुआत हुई लेकिन भारत में सन् 1967-68 में हरित क्रांति की शुरुआत हुई।

प्रश्न:- हरित क्रांति की शुरुआत किस देश से हुई
उत्तर:-  दुनिया में सबसे पहले अमेरिका में हरित क्रांति की शुरुवात हुई।

प्रश्न:- भारत में हरित क्रांति का उद्देश्य था
उत्तर:-  हरित क्रांति की शुरुआत किस देश से हुई, यह भारत से हुई है। भारत ने अपने ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि प्रणालियों में सुधार करने के लिए हरित क्रांति की शुरुआत की है। हरित क्रांति की प्रमुख उद्देश्यों में विज्ञानिक खेती, प्रभावी खेती तकनीकों, रासायनिक उपचार और अनुप्रयोग, जल संरक्षण, औद्योगिक विकास आदि शामिल हैं।

प्रश्न:- विश्व में हरित क्रांति के जनक
उत्तर:-  नॉर्मन बोरलॉग (Norman Borlaug) को विश्व में हरित क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है। 1960 के दशक में इन्होंने हरित क्रांति की शुरुवात की थी।

प्रश्न:- भारत में हरित क्रांति की शुरुआत कहां से हुई
उत्तर:-  भारत के पंजाब प्रांत से 1965 में हरित क्रांति की शुरुवात हुई।

प्रश्न:- हरित क्रांति से लाभ
उत्तर:-  अधिक मात्रा में फसलों का उत्पादन, अच्छी सिंचाई व्यवस्था, रासायनिक खादों का प्रयोग, कृषि में तकनीकी और मशीनों का प्रयोग ज्यादा होने लगा जिससे कम जगह पर ज्यादा उत्पादन प्राप्त हुआ।

प्रश्न:- हरित क्रांति किस फसल से संबंधित है
उत्तर:-  हरित क्रांति का संबंध गेहूँ और धान (चावल) की फसलों से है।

प्रश्न:- हरित क्रांति से किस राज्य को आर्थिक लाभ हुआ
उत्तर:-  हरित क्रांति की शुरुआत के फल स्वरुप भारत के विभिन्न राज्यों जैसे विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि हुई।

हरित क्रांति से जुड़े इस पोस्ट में अपने जाना की हरित क्रांति क्या है और यह कब शुरू हुई भारत में हरित क्रांति किसने और क्यों शुरू किया। हमने इस पोस्ट के माध्यम से आपके सामने भारत में हरित क्रांति कब शुरू हुई थी से जुड़े सभी तथ्य और जानकारी को रखा। मुझे उम्मीद है हरित क्रांति से जुड़ा हमारा यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए उपयोगी साबित होगा।

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