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पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज कब और कहां फहराया गया, यहाँ जाने पूरी जानकारी

पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज कब और कहां फहराया गया:- दोस्तों आज हम आपको भारत में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा सबसे पहले कब और किसके द्वारा फहराया गया तथा तिरंगा झंडा सबसे पहले कहां फहराया गया इस विषय में जानकारी देंगे। साथ ही आप भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण किसने किया और तिरंगे झंडे का क्या अनुपात होता है तिरंगे झंडे पर जो कलर होते हैं वह किसका प्रतीक हैं।

तिरंगे झंडे का जो अशोक चक्र है वह किस चीज का प्रतीक होता है और सबसे जरूरी राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियम इसके बारे में संपूर्ण जानकारी देंगे अगर आपको भारत के राष्ट्रीय ध्वज के बारे में संपूर्ण जानकारी चाहिए एवं पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज कब और कहां फहराया गया इसके विषय में संपूर्ण जानकारी चाहिए तो आप इस पोस्ट को पूरा पढ़िए।

पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज कब और कहां फहराया गया

भारत में पहली बार राष्ट्रध्वज को 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा फहराया गया था। यही वो दिन था जिस दिन आधिकारिक रूप से भारत को एक आजाद देश कहा गया। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा देश के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण पलों से जुड़ा हुआ है यह हमारा गौरव और स्वभिमान है।

पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज कब और कहां फहराया गया
पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज कब और कहां फहराया गया

आपको बता दें की आज जी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को हम जानते है वह आजादी से पहले ऐसा नहीं दिखता था। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को भारतीय संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को स्वीकार किया राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप तैयार करने का श्रेय पिंगली वेंकैया को जाता है राष्ट्रीय ध्वज को कांग्रेस के जयपुर अधिवेशन में हंसा मेहता द्वारा प्रस्तुत किया गया।

तिरंगे झंडे में अशोक चक्र और रंगों का प्रतीक

जैसा की सभी लोग जानते है की हमरे प्यारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग हैं और इनके बिल्कुल बीच में अशोक चक्र बना हुआ है। लेकिन क्या आपको इनका मतलब पता है क्यों केवल इन तीन रंगों को ही चुना गया और हमरे राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र ही क्यों लगाया गया है। यदि आपको इस बारे में नहीं पता है तो आज हम आपको इस बारे में सम्पूर्ण जानकारी देंगे आपको इस बारे में जानकारी होना चाहिए।

राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3 अनुपात 2 (3:2) होता है। राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंगों की पत्तियों के बीच में एक नीले रंग का अशोक चक्र होता है। अशोक चक्र में 24 तिलिया होती हैं अशोक चक्र निरंतर न्याय और प्रगति का प्रतीक है। अब रंगों में बात कर लेते है तो

केसरिया रंग शौर्य का प्रतीक है सफेद रंग शांति का प्रतीक है तो वहीं हरा रंग सुख समृद्धि का प्रतीक है। इन सभी रंगों का हमरे जीवन में बेहद ही गहरा प्रभाव है। किसी भी देश के लिए उसका शौर्य, शांति और सुख समृद्धि से पूर्ण होना जरूर होता है। 2004 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह घोषित किया कि संविधान के अनुच्छेद 19 एक ए के अंतर्गत समस्त नागरिकों को राष्ट्रध्वज फहराने का मूल अधिकार है।

राष्ट्रीय ध्वज - राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा

भारत में तिरंगे झंडे का इतिहास भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा हुआ है। यह झंडा भारत की आज़ादी और एकता का प्रतीक है। संविधान सभा की झंडा समिति के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा के रंग और डिज़ाइन का चयन महात्मा गांधी, पिंगली वेंकय्या और अन्य देशप्रेमियों ने किया था। तिरंगे झंडे को पहली बार ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी द्वारा 22 जुलाई 1947 को स्वीकृत किया गया था, इस लिए भारत में 22 जुलाई को झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है

राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को तिरंगा इस लिए कहा जाता है क्योंकि वो तीन रंगों से मिलकर बना है, तिरंगे झंडे का अर्थ है कि वह तीन रंगों से बना हुआ है। इसमें केसरिया रंग (शीर्ष), सफेद रंग (मध्य) और हरे रंग (तल) होते हैं। यह त्रिरंगी (तीन रंगों वाला) झंडा भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक है। 22 जुलाई 1947 से पहले तिरंगे झंडे पर अशोक चक्र की जगह चरखे का उपयोग किया जाता था।

भारत का झंडा गीत विजय विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊंचा रहे हमारा यह श्याम लाल गुप्ता पार्षद जी ने लिखा है। झंडा गीत कांग्रेस अधिवेशन 1938 में अपनाया गया था जो की हरिपुरा गुजरात में हुआ था इस अधिवेशन का अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस को निर्विरोध चुना गया था।

राष्ट्रीय ध्वज संहिता

राष्ट्रीय ध्वज संहिता 2002 (फ्लैग कोड ऑफ़ इंडिया 2002) इस संहिता में भारतीय ध्वज को फहराने व प्रयोग करने के बारे में निर्देश दिए गए हैं इस संहिता को 26 जनवरी 2002 को लागू किया गया इसी संहिता ने भारत के नागरिकों को किसी भी दिन अपने घर कार्यालय और कारखाने पर भारतीय ध्वज फहराने का अधिकार दिया।

स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले पर सबसे ज्यादा बार 17 बार झंडा फहराने का रिकॉर्ड देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम है। एक ध्वज झंडा न सिर्फ हमारी स्वतंत्रता बल्कि सभी लोगों की स्वतंत्रता का प्रतीक है यह कथन हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का है। निजी भवनों के ऊपर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 ( 1) (क) में वर्णित है।

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी पर भारत का ध्वजारोहण हमारे देश के राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर भारत का ध्वजारोहण प्रधानमंत्री के द्वारा किया जाता है।

राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियम

राष्ट्रीय ध्वज संहिता 2002 इसी संहिता ने भारत के नागरिकों को किसी भी दिन अपने घर कार्यालय और कारखाने पर भारतीय ध्वज फहराने का अधिकार दिया। निजी भवनों के ऊपर राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (क) में वर्णित है। लेकिन यदि आप भी अपने घरों कार्यालयों यह किसी निजी भवन पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने जा रहे है तो सबसे पहले आपको राष्ट्रीय ध्वज फहराने के नियम जरूर पढ़ लेने चाहिए।भारतीय ध्वज संहिता के अनुसार, तिरंगा की गरिमा और सम्मान का अनादर किए बिना सभी अवसरों पर सभी स्थानों पर तिरंगा फहराया जा सकता है।



  • झंडा किसी भी आकार का हो सकता है लेकिन इसकी लंबाई और ऊंचाई का अनुपात आयताकार आकार में 3:2 होना चाहिए।
  • भारतीय ध्वज संहिता के भाग II के पैरा 2.2 के खंड XI को निरस्त कर दिया गया और तिरंगा अब दिन के 24 घंटों में किसी भी समय देश में किसी भी व्यक्ति के घर पर प्रदर्शित किया जा सकता है।
  • झंडा खुले में प्रदर्शित किया जाता है या घर पर प्रदर्शित किया जाता है, नए नियम के अनुसार इसे दिन-रात फहराया जा सकता है।
  • राष्ट्रीय ध्वज फहराने वाले व्यक्ति के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि झंडा उल्टा नहीं फहराया जाए। इसका मतलब ध्वज का केसरी रंग ऊपर की ओर ऊंचा उड़ना चाहिए।
  • आप जो झंडा फहरा रहे हैं वह क्षतिग्रस्त तिरंगे को प्रदर्शित नहीं करना चाहिए और न ही यह जमीन या पानी को छूना चाहिए।
  • इसके अलावा, झंडा फहराने वाले व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि झंडा किसी अन्य झंडे के साथ झंडे के ऊपरी हिस्से से नहीं फहराया जाए।
  • यदि राष्ट्रीय ध्वज क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो उसे इस तरह से बिलकुल भी नहीं फेंकना नहीं चाहिए जिससे उसकी गरिमा को ठेस पहुंचे।
  • भारतीय ध्वज संहिता का सुझाव है अगर झंडा क्षतिग्रस्‍त हो गया है तो इसे जलाकर पूरी तरह से निजी तौर पर नष्ट कर देना चाहिए, और अगर यह कागज से बना है, तो सुनिश्चित करें कि इसे जमीन पर नहीं फेंका जाए।
  • भारत के राष्ट्रीय ध्वज को तिरंगे की गरिमा को ध्यान में रखते हुए पूरी गोपनीयता के साथ त्याग होना चाहिए।
  • एक नागरिक, एक निजी संगठन या एक शैक्षणिक संस्थान सभी दिनों और अवसरों पर राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है या प्रदर्शित कर सकता है। ध्वज प्रदर्शन के समय पर कोई प्रतिबंध नहीं है।

राष्ट्रीय ध्वज उतारने के नियम

राष्ट्रीय पर्व मानाने के बाद यह जरूरी है की हमारे राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को उसी सम्मान के साथ उतारा जाए जिस सम्मान से हमने राष्ट्रीय ध्वज फैराया है क्योकि जिस तरह से राष्ट्रीय ध्वजा रोहण करने के कई नियम होते हैं उसी तरह राष्ट्रीय ध्वज उतारने के नियम भी कुछ नियम है जिसका ज्ञान होना जरुरी है। अगर कोई झंडे का अपमान करते हुए उसका दुरुपयोग करते हुए पाया जाता है तो तीन साल तक की जेल हो सकती है। तिरंगे को लेकर कड़े कानूनी प्रावधान है।

  • राष्ट्रीय ध्वज उतारने के समय राष्ट्रीय ध्वज को धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाता है।
  • राष्ट्रीय ध्वज फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है।
  • राष्ट्रीय ध्वज को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाता है.
  • राष्ट्रीय ध्वज को जमीन पर नहीं रखा जाता है इस बात का विशेष ध्यान रखें।
  • तिरंगे को उतार कर पुर्ण सम्मान के साथ संभालकर रखा जाता है।
  • अगर तिरंगा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे अकेले में सम्मान के साथ पूर्ण रूप से नष्ट किया जाता है।

राष्ट्रीय ध्वज का महत्व

ध्वज आदि काल से ही एक जुटता का प्रतीक माना जाता है यह किसी देश की पहचान का प्रतीक चिन्ह होता है। सदियों से कई राजा महाराजा अपने देश के लिए राष्ट्रीय ध्वज को एक प्रतीक के रूप में देखते आए है। राष्ट्रीय ध्वज का महत्त्व उस राष्ट के लिए सर्वोपरी होता है।

राष्ट्रीय ध्वज का महत्व एक महत्वपूर्ण विषय है। यह एक देश की पहचान होता है और उस देश की गरिमा और सम्मान को प्रतिष्ठित करता है। राष्ट्रीय ध्वज द्वारा एक देश की संघर्षों, इतिहास, संस्कृति और विरासत को प्रतिष्ठित किया जाता है। यह एक राष्ट्रीय चिन्ह के रूप में कार्य करता है और लोगों को एकजुट करने का कार्य करता है।

राष्ट्रीय ध्वज के बारे में 10 लाइन

राष्ट्रीय ध्वज भारत का राष्ट्रीय प्रतीक है और इसे तिरंगा के नाम से भी जाना जाता है। यह तिरंगा तीन बराबर आयामों का होता है जिसमें सफेद, हरा और नीले रंग का उपयोग किया जाता है। तिरंगे में सफेद रंग शांति और सत्य को प्रतिष्ठित करता है, हरा रंग प्रकृति को और नीला रंग विश्वास को दर्शाता है।

यह तिरंगा 22 जुलाई 1947 को स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था। राष्ट्रीय ध्वज की ऊँचाई और चौड़ाई का अनुपालन 3:2 के अनुसार होता है। इसमें तिरंगे के ऊपर ध्वजमस्तक स्थापित होता है जिसमें नीले रंग की एक चक्र दिखाई देती है।

राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग भारतीय राष्ट्रीय दिवस, सरकारी और विशेष अवसरों पर किया जाता है। यह ध्वज भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के द्वारा भी इस्तेमाल किया जाता है। राष्ट्रीय ध्वज भारत की गरिमा, एकता और अद्वितीयता का प्रतीक है।

राष्ट्रीय ध्वज FAQ,s

प्रश्न:- भारतीय राष्ट्रीय ध्वज का निर्माण किसने किया
उत्तर:- राष्ट्रीय ध्वज का प्रारूप तैयार करने का श्रेय पिंगली वेंकैया को जाता है।

प्रश्न:- राष्ट्रीय ध्वज कब फहराया जाता है
उत्तर:- मुख्य रूप से राष्ट्रीय पर्व स्वतंत्रा दिवश और गणतंत्र दिवस को राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।

प्रश्न:- राष्ट्रीय ध्वज कब अपनाया गया
उत्तर:- राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा को भारतीय संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को स्वीकार किया

प्रश्न:- राष्ट्रीय ध्वज फहराने का समय
उत्तर:- हम अपने राष्ट्रीय पर्व पर सुबह के समय अपना राष्ट्रीय ध्वज फहराते है।

प्रश्न:- राष्ट्रीय ध्वज का अपमान
उत्तर:- अगर कोई राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते हुए या उसका दुरुपयोग करते हुए पाया जाता है तो तीन साल तक की जेल हो सकती है। तिरंगे को लेकर कड़े कानूनी प्रावधान है।

प्रश्न:- राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात क्या है
उत्तर:- राष्ट्रीय ध्वज की लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3 अनुपात 2 (3:2) होता है। हमरे प्यारे राष्ट्रीय ध्वज में तीन रंग हैं और इनके बिल्कुल बीच में अशोक चक्र बना हुआ है।

प्रश्न:- झंडा दिवस कब मनाया जाता है।
उत्तर:- 22 जुलाई को झंडा दिवस के रूप में मनाया जाता है।