Header Ads Widget

आरएसएस की स्थापना कब हुई: आरएसएस फुल फॉर्म, प्रचारक सैलरी और आरएसएस से जुड़ने के फायदे

आरएसएस की स्थापना कब हुई:- RSS को भारत में कौन नहीं जानता सभी ने आरएसएस के बारे में सुन या पढ़ रखा है लेकिन क्या आपको पता है की आरएसएस की स्थापना कब हुई और आरएसएस फुल फॉर्म इन हिंदी में क्या है। असल में आरएसएस क्या है और इसके निर्माण के पीछे की असल कहानी क्या है।

क्या आरएसएस प्रचारक सैलरी पता है और आरएसएस से जुड़ने के फायदे के क्या लाभ हो सकते है इस लेख में हम इन सभी सवसवालों के बारे में संछिप्त जानकारी देने की कोशिस करेंगे। तो इस लेख को आप अंत तक जरूर पढ़ने तकि आपको पता चल सके की आखिर आरएसएस की स्थापना कब हुई और आरएसएस क्या है?

आरएसएस की स्थापना कब हुई

आरएसएस- RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) भारत में स्थापित एक हिन्दू राष्ट्रवादी स्वयंसेवी संगठन है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितंबर सन् 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ॰ केशव हेडगेवार द्वारा की गयी थी। RSS हिन्दुत्व के मूल्यों और संस्कृति को प्रमुखता देता है और भारतीय समाज को सामरिक और सेवारत बनाने का प्रयास करता है।

आरएसएस की स्थापना कब हुई
आरएसएस की स्थापना कब हुई

आरएसएस फुल फॉर्म इन हिंदी

आरएसएस फुल फॉर्म राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ होता है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय एकता, सामरिक शक्ति और समर्पित सेवा के माध्यम से भारत की समृद्धि और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। आरएसएस को हिन्दूत्व के मूल्यों, संस्कृति और राष्ट्रप्रेम को प्रमुखता दी जाती है। यह संगठन अनेक सभाओं, शिविरों, सेवा कार्यों, शिक्षा और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से सदस्यों को संगठित करता है।

आरएसएस क्या है

आरएसएस के हिन्दू राष्ट्रवादी संगठन है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh), जिसे आमतौर पर RSS के रूप में जाना जाता है, यह पूरे विश्व की सबसे बड़ी एक हिंदू राष्ट्रवादी स्वयंसेवी गैर सरकारी संगठन है जो भारत में स्थापित है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भारत में कई बार बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किए है। जिनके बारे आपको बताने जा रहे है।

संघ की उपस्थिति भारतीय समाज के हर क्षेत्र में महसूस की जा सकती है जिसकी शुरुआत सन 1925 से होती है। उदाहरण के तौर पर सन 1962 के भारत-चीन युद्ध में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू संघ की भूमिका से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने संघ को सन 1963 के गणतंत्र दिवस की परेड में सम्मिलित होने का निमन्त्रण दिया। केवल दो दिनों की पूर्व सूचना पर तीन हजार से भी ज्यादा स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में वहाँ उपस्थित हो गये।

दादरा, नगर हवेली और गोवा के भारत विलय में संघ की निर्णायक भूमिका रही। 21 जुलाई 1954 को दादरा को पुर्तगालियों से मुक्त कराया गया, 28 जुलाई को नरोली और फिपारिया मुक्त कराए गए और फिर राजधानी सिलवासा मुक्त कराई गई।

संघ के स्वयंसेवकों ने 2 अगस्त 1954 की सुबह पुतर्गाल का झंडा उतारकर भारत का तिरंगा फहराया, पूरा दादरा नगर हवेली पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त करा कर भारत सरकार को सौंप दिया।

इसी प्रकार संघ के स्वयंसेवक 1955 से गोवा मुक्ति संग्राम में प्रभावी रूप से शामिल हो चुके थे। गोवा में सशस्त्र हस्तक्षेप करने से जवाहरलाल नेहरू के इनकार करने पर जगन्नाथ राव जोशी के नेतृत्व में संघ के कार्यकर्ताओं ने गोवा पहुंच कर आंदोलन शुरू किया,

जिसका परिणाम जगन्नाथ राव जोशी सहित संघ के कार्यकर्ताओं को दस वर्ष की सजा हुई। हालत बिगड़ने पर अंततः भारत को सैनिक हस्तक्षेप करना पड़ा और 1961 में गोवा स्वतन्त्र हुआ।

आरएसएस प्रचारक सैलरी

आरएसएस प्रचारक सैलरी कितनी होती है इसका जवाब आपको आगे मिल जाएगा। RSS का मुख्य लक्ष्य पूरे भारत को संगठन के मूल्यों, राष्ट्रीयता के महत्व, धर्म, संस्कृति, इतिहास, एकता और सेवा की भावनाओं को प्रचारित करने के लिए है और इस लक्ष्य को पूरा करने वाला RSS के मेंबर अपनी पूरी निःस्वार्थ भाव से इसे पुरा भी करता है

और इसके बदले उन्हें कोई धनराशि या सैलरी नहीं दी जाती है क्योंकि इस संगठन का मुख्य उद्देश्य हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए हिंदू समुदाय को एकजुट करना है जो लोग अपनी इच्छा अनुसार इस कार्य को करते हैं।

आरएसएस के कार्य?

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का कार्य निम्नलिखित क्रियाओं पर आधारित होता है :

शिक्षा और प्रशिक्षण : RSS अपने सदस्य को शारीरिक और मानसिक प्रशिक्षण प्रदान करता है अर्थात उन्हे स्वास्थ्य, आत्मविश्वास, नैतिक मूल्यों, सामरिकता और सामाजिक कौशलों का विकास करता है।

स्वयंसेवा : स्वयंसेवा RSS का महत्वपूर्ण कार्य होता है वे निःस्वार्थ रूप से समाज की सेवा में लगे रहते हैं और समाज की समस्याओं का समाधान करने के लिए हर वक्त तत्पर रहते है।

संगठन और प्रचार : RSS संगठन और प्रचार के माध्यम से राष्ट्रीयता, धर्म, संस्कृति, इतिहास, एकता, सेवा और भारतीय मूल्यों को प्रशंसा करते है।

सामरिकता का विकास : RSS सामरिकता के विकास को प्राथमिकता देता है। संगठन युवाओं को सामरिक योग्यता और आत्मविश्वास के साथ सशक्त बनाने के लिए शारीरिक प्रशिक्षण, खेल-कूद और सामरिक कार्यक्रम आयोजित करता है।

आरएसएस से जुड़ने के फायदे

सबसे पहली बात आपको बता दें कि इस संगठन में जुड़ने के बाद कोई भी धनराशि नहीं मिलेगी जैसे कंपनी में सैलरी मिलती है इसमें व्यक्ति अपने धर्म, समाज की सेवा एवं संस्कृति से भावुक होकर निस्वार्थ रूप से जुड़ते हैं। इसके अलावा आरएसएस से जुड़ने के कई सारे फायदे हैं जिनमें से कुछ है :

  • आरएसएस से जुड़ने के बाद आप जाति भेदभाव करना भूल जाएंगे और यही हमारे भारत की एकता की पहचान होती है।
  • आप इस संगठन में सीखेंगे की किस तरह से प्रकृति आपदाओं में लोगों की मदद की जाती है क्योंकि आरएसएस का एक लक्ष्य भी है कि लोगों को प्राकृतिक आपदाओं से रक्षा करें।
  • इसमें जुड़ने के बाद आपको अपनी महान संस्कृति और इतिहास पर गर्व होगा।
  • आप संस्था में जब जुड़ जाएंगे तब आपको कई प्रकार के विचारधारा लोगों से मिलेंगे तो आपका भी विचार विकसित होगा।
  • आरएसएस में गरीब असहाय लोगों को मदद के लिए प्रेरित किया जाता तो आप उन लोगों को मदद करके पुण्य कमा सकते हैं।
  • आपको मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के लिए कई सारे फिजिकल एक्टिविटी करवाई जाएगी जैसे कि कबड्डी, योगा और अन्य खेलकूद आदि।

मुझे उम्मीद है की आरएसएस की स्थापना कब हुई, आरएसएस फुल फॉर्म इन हिंदी में क्या है। असल में आरएसएस क्या है और इसके निर्माण के पीछे की असल कहानी क्या है। के बारे में हमारा यह लेख आपके लिए उपयोगी साबित होगा।

आपने हमें इतना समय दिया आपका बहुत धन्यवाद।